महोबा । अभी दो साल पहले प्राकृतिक आपदाओं का काश्तकार शिकार हुआ था, इस बीच वह संभल भी नहीं पाया था, कि एक बार फिर चालू साल में प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हुआ है। मौसम खराबी का सर्वाधिक असर खरीफ की तैयार हो रही और मड़ाई के लिये कटी पड़ी फसलों पर पड़ा है।
यहां बीते तीन दिनों तक मौसम पूरी तरह से खराब रहा है, गुरुवार और शुक्रवार को बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुयी है, जिसका असर दलहनी व तिलहनी फसलों पर पड़ा है, खेतों पर लगभग फसलें पक कर तैयार हो गयी और कुछ फसलों की कटाई भी शुरू हो गयी है, तिलहनी फसलों की कटाई का काम किसान जोर, शोर से कर रहा है, उसने खेतों से राई और सरसों की कटाई के बाद उन्हें मड़ाई के लिये डाल रखा है, गेंहू की फसल भी कहीं कटाई पर आ गयी है, और कहीं पककर कटाई के मुहाने पर पहुंच रही है, लहलहाती फसलों को देखकर खुश होते किसानों के अरमानों पर बीते दो दिनों से हुयी बेमौसम बरसात ने तुषारापात किया है।
बारिश के साथ यहां हुयी ओलावृष्टि ने राई, सरसों, और चना की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है, किसान बेमौसम की बारिश से परेशान हो उठा है, बीते दो साल पहले भी यहां का काश्तकार बेमौसम की बारिश का शिकार हुआ था, और उसकी फसलें पूरी तरह से चैपट हुयी थी, स्थिति तब यह निर्मित हुयी थी, किसान के हाथ बीज का लागत मूल्य भी नहीं लग पाया था मुआवजे की मांग को लेकर किसान सड़कांे पर उतरा था और लोकतंत्रिक तरीके से उसे सड़कोें को घेरा था, किसान संगठन भी किसानों की मांगों में शामिल हुये थे, अभी भी तमाम किसानों को गुजरें सालों का मुजावजा नहीं मिला है, कि एक बार फिर वह प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ है।
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